Dictées

राजा और मूर्ख मित्र

एक राजा था। उसने एक बंदर पाल रखा था। राजा को अपने बंदर से बहुत प्रेम था, इसलिए वह उसकी सारी शरारतें सहन कर लेता था। बंदर प्रायः दूसरों को भी नुकसान पहुँचाता था, परंतु राजा के प्रिय बंदर की शिकायत कौन करे?

जब राजा सोता था तब बंदर उसे पंखे से हवा करता था। एक रात बंदर पंखे से हवा कर रहा था। सोते हुए राजा की नाक पर बार-बार एक मक्खी बैठ जाती थी। मूर्ख बंदर को गुस्सा आया और उसने नाक पर बैठी मक्खी को मारने के लिए तलवार उठा ली। इससे पहले कि बंदर तलवार से वार करता, वहीं छिपे एक चोर ने उसे डाँट कर भगा दिया। शोर से राजा की आँख खुल गई। चोर ने उसे पूरी घटना सुनाई। राजा ने चोर को प्राण बचाने के लिए धन्यवाद दिया व अपना पहरेदार नियुक्त कर दिया।

शिक्षा- मूर्ख मित्र से बुद्धिमान शत्रु कहीं अच्छा है।

शेर और चतुर खरगोश

वन में एक शेर का बड़ा आतंक था। वह प्रायः कई पशुओं को मारकर खा जाता था। एक दिन पशुओं ने सभा बुलाई। वे शेर के डर से छिप-छिपकर जीने वाली ज़िंदगी से तंग आ गए थे। उन्होंने तय किया कि उनमें से रोज़ एक पशु स्वयं ही शेर का आहार बनने के लिए चला जाएगा। इस तरह बाकी पशु निर्भय होकर घूम सकेंगे।

शेर को भी यह सुझाव पसंद आया। अब उसे शिकार के लिये भाग-दौड़ नहीं करनी पड़ती थी। एक पशु प्रतिदिन उसके पास आ जाता। एक बार एक नन्हे खरगोश की बारी आई। खरगोश सही समय पर शेर के पास नहीं पहुँचा। शेर का गुस्से के मारे बुरा हाल था। इधर नन्हा खरगोश जानबूझकर देर कर रहा था। वह अपने प्राण नहीं गँवाना चाहता था। उसके दिमाग में एक योजना थी। योजना के अनुसार वह कई घंटे देर से शेर के पास पहुँचा। शेर गुस्से से गरजने लगा तो वह बोला- “महाराज! मैं तो सही समय पर आ जाता, परंतु राह में एक दूसरे शेर ने मुझे रोक लिया। वह अपने-आप को जंगल का राजा कहता है।” नन्हे खरगोश की बात सुनकर तो भूखे शेर का पारा सातवें आसमान पर जा पहुँचा। वह बोला- “मुझे बताओ, वह दूसरा शेर कहाँ है।”

नन्हा खरगोश उसे कुएँ के पास ले गया। कुएँ में शेर को उसी की परछाईं दिखाकर बोला- “वह रहा दूसरा शेर।” शेर गरजा तो परछाईं वाले शेर ने भी ऐसा ही किया। शेर ने हमला करने के लिए परछाईं वाले शेर पर छलाँग लगा दी और कुएँ में ही डूब कर मर गया। नन्हे खरगोश की चतुराई से सारे पशुओं के प्राण बच गए थे।

शिक्षा- जिसकी बुद्धि, उसका बल।

Retrouvez le texte de ces dictées.